वाराणसी: ठेकेदार आत्महत्या मामले में PWD चीफ इंजीनियर समेत 7 अफसरों पर FIR।
ब्यूरो⁄संवाददाता‚ आशीष सैनीः वाराणसी के पीडब्ल्यूडी कार्यालय में ठेकेदार अवधेश श्रीवास्तव
द्वारा खुद गोली मारकर आत्महत्या करने के मामले में चीफ इंजीनियर
समेत 7 अफसरों पर एफआईआर दर्ज की गई है। मामले में मृतक ठेकेदार की पत्नी
प्रतिभा की तहरीर पर ये मुकदमा दर्ज किया गया है। एफआईआर में बिजली विभाग
के इंस्पेक्टर का भी नाम शामिल किया गया है। उधर ठेकेदार आत्महत्या के बाद
वाराणसी से लखनऊ तक हड़कंप मचा गया है। मामले में शासन की तरफ से जांच
रिपोर्ट तलब कर ली गई है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश शासन से एक जांच टीम
गुरुवार को पीडब्ल्यूडी दफ्तर पहुंची। जानकारी के अनुसार टीम ने बकाये
पेमेंट से जुड़ी जानकारी जुटाई और अफ़सरों के बयान दर्ज किए। टीम को दो दिन
में रिपोर्ट देनी है। बता दें बुधवार को वाराणसी के कैन्ट में स्थित पीडब्लूडी
कार्यालय परिसर में बुधवार को गोली चलने से हड़कंप मच गया। पता चला कि यहां
चीफ इंजीनियर के कमरे में ठेकेदार अवधेश श्रीवास्तव ने खुद को गोली मार ली
है। वहीं पुलिस ने सुसाइड नोट बरामद किया, जिसमें ठेकेदार
ने इंजीनियर पर दबाव बनाने और कार्यों को बार-बार कराए जाने का आरोप लगाया
है। सुसाइड नोट में मृतक ठेकेदार ने कई अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। पता
चला है कि महिला अस्पताल में चल रहे ठेकेदार की साइट पर कुछ दिन पहले
बिजली विभाग ने छापा मारा था। बिजली विभाग द्वारा कार्रवाई के बाद वह बीमार
पड़ गया था। सुसाइड नोट में उसने लोक निर्माण विभाग और बिजली विभाग के
अधिकारियों को जिम्मेदार बताया है। पता चला है कि कई सरकारी कार्य करने के
बाद पेमेंट न होने से भी वह क्षुब्ध था।
सुसाइड नोट में इंजीनियरों पर लगाए गंभीर आरोप
ठेकेदार अवधेश श्रीवास्तव का विभाग पर लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये बकाया
था, जिसके लिए वह चार साल से चीफ इंजीनियर और जेई के चक्कर काट रहा था।
अवधेश के सुसाइड नोट में यह बातें लिखी हैं। उसने अफसरों पर जबरन फर्जी काम
कराने और घोटाला करने का आरोप भी सुसाइड नोट में लगाया है। सुसाइड नोट के
मुताबिक वर्ष 2014-15 में कबीरचौरा महिला अस्पताल में 100 बेड के मैटरनिटी
वार्ड के निर्माण का ठेका ई-टेंडरिंग के माध्यम से अवधेश को दिया गया था।
बाद में विभागीय अधिकारियों ने अनुबंध को मूल दर से 20 फीसदी ज्यादा पर तय
कर दिया। धीरे-धीरे अवधेश का कुल बकाया 14 करोड़ 50 लाख रुपये से ऊपर हो
गया। मगर भुगतान की जगह विभागीय अधिकारियों ने कभी मशीनरी एडवांस तो कभी
सिक्योरिटी एडवांस के नाम पर उसे भुगतान कराया और हर बार बिल फार्म पर
दस्तखत कराए गए। अवधेश का अब भी साढ़े चार करोड़ रुपये बकाया था।
कमीशनखोरी और धमकी के लगाए हैं आरोप
सुसाइड नोट में लगाए गंभीर आरोप सुसाइड नोट में अवधेश ने चीफ इंजीनियर के
अलावा जेई मनोज कुमार सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसमें विभागीय अनुबंध
से ज्यादा पर अनुबंध तय करना, बार-बार नक्शे और ड्राइंग बदलना, कमीशनखोरी
का दबाव, कार्य की प्रगति को मुख्यमंत्री के ‘चाणक्य’एप पर अपलोड न करना और
ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने और जेल भेजने की धमकी देकर प्रताड़ित करना
शामिल है। पता चला कि अवधेश सुसाइड करने के लिए घर से फैसला करके निकले थे।
अवधेश की मौत के बाद उनका सुसाइड नोट उनकी गाड़ी से बरामद किया गया। जिस
पर उन्होंने बाकायदा ‘आत्महत्या पत्र’लिखा है। अवधेश मूल रूप से गाजीपुर के
पहाड़पुर गांव के रहने वाले थे। वाराणसी में मीरापुर बसहीं स्थित
विश्वनाथपुरी कालोनी में उनका मकान है। परिवार में दो बेटे और एक बेटी हैं।
